Book Title: Gommatsara Jivakand
Author(s): Khubchandra Jain
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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४
गाथा.
चत्तारवि खे चदुर्गादि भव
चदुगदिमदि
चंदर विजंबु
चरमधरासाण
चरमुके चागी भद्दो चोक्खो चिंतियमचिंतियं
चितियमचितियं
चोदसमग्गण ...
***
छहाणाणं आ... छोत्ति पढम ...
छा छद्दव्वेसु य णामं
छप्पयणील
छपंचाधिय
छप्पंचणववि... छस्सय जोयण
छस्सयपण्णासाईं
...
698
छादयदि सयं... छेत्तूणय परि-...
जणवदसम्मदि
जत्तस्स पहं
जत्थेकमरइ
जम्मं खलु सम्मु जम्बूदीवं भरहो जम्हा उबरिम जं सामण्णं
जह कंचणमग्गि जहरवादसंजमो
जह पुण्णा पुणाई
भार
जाइजरामरण... जाई अविणाभावी
जाणइ कज्जाक
जाण तिकाल
...
...
...
...
छ
ज
...
...
...
...
...
...
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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् ।
पू. गा.
गाथा.
२४२।६५२ | जाहिव जासु व २४२।६५१ |जीवदुगं उत्त... १६७।६५० जीवा अनंतसंखा १३६।३६० जीवा चोहसभे २३६।६३७ | जीवाजीबं दव्वं
१२७।३३२ जीवाणं च य रासी १८४।५१५ | जीवादोणंत
१६१।४३७ | जीवा दोणंतगु ... १६५।४४८ जीविदरे कम्म १२९।३३९ | जेहावर बहु
जेसिं ण संति...
१२५/३२७ | जेहिं अणेया २५९।७०१ | जोइसियवाण २१५।५८० | जोइसियंताणो... २०८।५६१ जोइसियादो अहिया. १७८।४९४ | जोगपउत्ती
जोगं पडि जोगि
४८।११५
२०८।५६० | जोगे चउरक्खा ६३।१५५ १३७३६५
| जो णेव सच्च मोसो
जो
तसबहादु ...
१०६।२७३
१७०।४७० ठाणेहिंवि जोणीहिं
८९।२२१ | कसाये २१०/५६६ | हुपमाए पढमा ७७११९२ हासेसपमादो
३६।८३ | णय कुणइ पक्खवायं.. ७८ । १९४ य जे भव्वाभव्वा २१।४८ | परिणमदि १७४|४८१ णय पत्तियइ ८१।२०२ य मिच्छत्तं १६९।४६७ | णय सच्च मोस .. ४८।११७ णरतिरियाणं ' ८१।२०१ | णरतिरिय ६२।१५१ णरमंति जदो... ७३।१८० णरलद्धिअपज्जत्त १८४।५१४ णरलोएत्ति य ११५।२९८ | णवमी अणक्खर
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उ
ण
:
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पृ. गा.
५८/१४०
२२९।६२१
२१७/५८७
१७२१४७७
२०९१५६२
१२४।३२३
९८।२४८
२२११५९८
२३८।६४२
२३३।६३१
९६।२४२
३१।७०
१०७।२७६
१६१।४३६
१९३।५३९
१७६१४८९
२६४।७१०
१७५।४८६
८९/२२०
१४।३१
३३।७४
१९१/५३२
५७।१३८
२०।४६
१८५/५१६
२०२/५५८
२१११५६९
१८३।५१२
२४२।६५३
८८।२१८
१८९/५२९
११५२९२
६०।१४६
२६६।७१५
१६६।४५५ ९०/२२५

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