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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् ।
है कि असंयत गुणस्थानवर्ती मानुषीके एक पर्याप्त ही आलाप होता है । भावार्थ - गुणस्थानोंमें जिस क्रमसे आलापों का वर्णन किया है उस ही क्रमसे मनुष्यगति में भी आलापोंको समझना चाहिये; किन्तु विशेषता यह है कि योनिमत् मनुष्य के असंयत गुणस्थानमें एक पर्याप्त आलाप ही होता है ।
मसिणि मत्तविरदे आहारदुगं तु णत्थि नियमेण । अवगदवेदे मणुसिणि सण्णा भूदगदिमासेज्ज || ७१४ ॥ मानुष्यां प्रमत्तविरते आहारद्विकं तु नास्ति नियमेन । अपगतवेदायां मानुष्यां संज्ञा भूतगतिमासाद्य ॥ ७१४ ॥
अर्थ - जो द्रव्यसे पुरुष है; किन्तु भावकी अपेक्षा स्त्री है ऐसे प्रमत्तविरत जीवके आहारक शरीर और आहारक आङ्गोपाङ्ग नामकर्मका उदय नियमसे नहीं होता । वेदर - हित अनिवृत्तिकरण गुणस्थानवाले भाव स्त्री - मनुष्य के जो मैथुनसंज्ञा कही है वह भूतगति - न्यायकी अपेक्षासे कही है । भावार्थ - जिस तरह पहले कोई सेठ था परन्तु वर्तमान में वह से नहीं है तो भी पहले की अपेक्षासे उसको सेठ कहते हैं । इसी तरह वेदरहित जीवके यद्यपि वर्तमान में मैथुनसंज्ञा नहीं है तथापि पहले थी इसलिये वहां पर मैथुनसंज्ञा कही जाती है । इस गाथामें जो तु शब्द पड़ा है उससे इतना विशेष समझना चाहिये कि स्त्रीवेद या नपुंसक वेद के उदयमें मन:पर्यय ज्ञान और परिहारविशुद्धि संयम भी नहीं होता । द्रव्यस्त्रीके पांच ही गुणस्थान होते हैं; किन्तु भावमानुषीके चौदहों गुणस्थान होस - कते हैं । इसमें भी भाववेद नौमे गुणस्थानसे ऊपर नहीं रहता । तथा आहारक ऋद्धि और परिहारविशुद्धिसंयमवाले जीवोंके द्वितीयोपशम सम्यक्त्व नहीं होता ।
णरलद्धिअपजत्ते एक्को दु अपुण्णगो दु आलावो । लेस्साभेदविभिण्णा सत्त वियप्पा सुरठ्ठाणा ॥ ७१५ ॥ नरलब्ध्यपर्याप्ते एकस्तु अपूर्णकस्तु आलापः । श्याभेदविभिन्नानि सप्त विकल्पानि सुरस्थानानि ॥ ७१५ ॥
अर्थ —- मनुष्यगतिमें जो लब्ध्यपर्याप्तक हैं उनके एक अपर्याप्त ही आलाप होता है । देवगतिमें लेश्याभेदकी अपेक्षासे सात विकल्प होते हैं । भावार्थ – देवगति में लेश्याकी अपेक्षासे सात भेदोंको पहले बता चुके हैं कि; भवनत्रिक में तेजका जघन्य अंश, सौधर्मयुगलमें तेजका मध्यमांश, सनत्कुमार युगलमें तेजका उत्कृष्ट अंश और पद्मका जघन्य अंश, ब्रह्मादिक छह खर्गोंमें पद्मका मध्यमांश, शतारयुगलमें पद्मका उत्कृष्ट और शुक्लका जघन्य अंश, आनतादिक तेरह में शुक्लका मध्यमांश, अनुदिश और अनुत्तरमें शुक्ललेश्याका उत्कृष्ट अंश होता है ।
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