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रायचन्द्रजैनशास्त्रमालायाम् । चंदरविजंबुदीवयदीवसमुद्दयवियाहपण्णत्ती। परियम्मं पंचविहं सुत्तं पढमाणिजोगमदो ॥ ३६०॥ पुवं जलथलमाया आगासयरूवगयमिमा पंच । भेदा हु चूलियाए तेसु पमाणं इणं कमसो ॥ ३६१ ॥
चन्द्ररविजम्बूद्वीपकद्वीपसमुद्रकव्याख्याप्रज्ञप्तयः । परिकर्म पञ्चविधं सूत्रं प्रथमानुयोगमतः ॥ ३६० ॥ पूर्व जलस्थलमायाकाशकरूपगता इमे पञ्च ।
भेदा हि चूलिकायाः तेषु प्रमाणमिदं क्रमशः ॥ ३६१ ॥ अर्थ-बारहमे दृष्टिवाद अङ्गके पांच भेद हैं-परिकर्म सूत्र प्रथमानुयोग पूर्वगत चूलिका। इसमें परिकमके पांच भेद हैं-चन्द्रप्रज्ञप्ति सूर्यप्रज्ञप्ति जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति द्वीपसागरप्रज्ञप्ति व्याख्याप्रज्ञप्ति । पूर्वगतके चौदह भेद हैं जिनका वर्णन आगे करेंगे । चूलिकाके पांच भेद हैं जलगता स्थलगता मायागता आकाशगता रूपगता। अब इनके पदोंका प्रमाण क्रमसे बताते हैं।
गतनम मनगं गोरम मरगत जवगातनोननं जजलक्खा । मननन धममननोनननामं रनधजधराननजलादी ॥ ३६२॥ याजकनामेनाननमेदाणि पदाणि होति परिकम्मे । कानवधिवाचनाननमेसो पुण चूलियाजोगो ॥ ३६३ ॥ गतनम मनगं गोरम मरगत जवगातनोननं जजलक्षाणि । मननन धममननोनननामं रनधजधरानन जलादिषु ॥ ३६२ ॥ याजकनामेनाननमेतानि पदानि भवन्ति परिकर्मणि ।
कानवधिवाचनाननमेषः पुनः चूलिकायोगः ॥ ३६३ ॥ अर्थ-क्रमसे चन्द्रप्रज्ञप्तिमें छत्तीस लाख पांच हजार, सूर्यप्रज्ञप्तिमें पांच लाख तीन हजार, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिमें तीन लाख पच्चीस हजार, द्वीपसागरप्रज्ञप्तिमें बावन लाख छत्तीस हजार, व्याख्याप्रज्ञप्तिमें चौरासी लाख छत्तीस हजार पद हैं । सूत्र में अठासी लाख पद हैं । प्रथमानुयोगमें पांच हजार पद हैं । चौदह पूर्वोमें पचानवे करोड़ पचास लाख पांच पद हैं। पांचो चूलिकाओंमेंसे प्रत्येकमें दो करोड़ नौ लाख नवांसी हजार दो सौ पद हैं। चन्द्रप्रज्ञप्ति आदि पांचप्रकारके परिकर्मके पदोंका जोड़ एक करोड़ इक्यासी लाख पांच हजार है । पांच प्रकारकी चूलिकाके पदोंका जोड़ दश करोड़ उनचास लाख छयालीस हजार (१०४९४६००० ) है । भावार्थ-यहां पर जो अक्षर तथा पदोंका प्रमाण बताया है वह अपुनरुक्त अक्षर तथा पदोंका प्रमाण समझना ।
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