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प्रथम ढाल
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युवाले नवयुवक कुमारोंके समान सदा हास्य, कौतूहल आदि में मस्त रहते हैं, इसलिए इनके नामोंके आगे 'कुमार' शब्द जुड़ा हुआ है। जो पर्वत नदी, वन, वृक्ष, समुद्र द्वीप आदि विविध स्थानोंमें रहते हैं, उन्हें व्यन्तर देव कहते हैं इनके किन्नर, किंपुरुष आदि आठ भेद होते हैं । ये ही देव मनुष्य, स्त्री आदिके शरीर में प्रवेश कर नाना प्रकारके कौतूहल किया करते हैं । सूर्य, चन्द्र, तारा आदि ज्योती देव हैं, जिनके ज्योतिर्मय विमानोंके कारण इस भूमण्डल पर प्रकाश पहुँचता है और दिन-रात आदि कालका विभाग होता है । इन तीनों प्रकारके देवों को भवनत्रिक कहते हैं । इनमें मिध्यादृष्टि मनुष्य या तिर्यंच ही जन्म लेते हैं । यद्यपि शास्त्रों में भवनवासी आदि देवों में उत्पत्ति के कारण भिन्न-भिन्न बतलाये गये हैं, परन्तु सामान्यरूप से काम निर्जरा तीनों प्रकार के देवों में उत्पत्तिका कारण हैं, इसलिए ग्रन्थकारने यहां उसी एक कारण का उल्लेख किया है ।
शंका-अकामनिर्जरा किसे कहते हैं ?
समाधान -- अपनी इच्छाके विना केवल पराधीनता से भोग-उपभोगका निरोध होनेसे, तथा तीव्र कषाय-रहित होकर भूख, प्यास, मारन, ताड़न वा रोगदिके कष्ट सहन करनेसे, या प्राणघात होजानेसे जो कर्मोंकी निर्जरा होती है, उसे काम निर्जरा कहते हैं ।
शंका -- भवनवासी देवोंमें उत्पन्न होनेके कारणों को विस्तार से भिन्न-भिन्न बतलाइये ?