________________
चौथी ढील मानेन किंचिन्मूल्येन किंचित्तुलयापि किंचिकलयापि किंचित् । .किंचिच्च. किंचिच्च गृहीतुकामाः, ....
प्रत्यक्षचौरा . वणिजो ... नराणाम् ॥ १॥ . अर्थात् ये दुकानदार बनिये पहले तो बाँट ही कमती रखेंगे, फिर मूल्यमें तेज देंगे फिर तराजूके पलड़े हलके और भारी रखेंगे और इसके बाद डांडी मारनेकी कलाका भी कुछ उपयोग करेंगे, इस तरह हर प्रकार कुछ न कुछ कम देने वाले ये बनिये मनुष्योंके प्रत्यक्ष चोर हैं । ऐसा जान कर नाप-तौलमें ईमानदारी, रखना चाहिए और जहाँ चोरीके द्रव्य होनेकी शंका हो, उस वस्तुको हाथ ही नहीं लगाना चाहिए । अतिचारकी आड़में अनाचार नहीं करना चाहिए।
....... .. - (४) ब्रह्मचयाणुव्रतके अतिचार-पराये लड़के लड़कियोंके विवाह कराना परविवाहकरण नामका अतिचार है । ब्रह्मचर्यागुव्रती अपने और अपने सम्बन्धियोंके पुत्रादिकोंका तो विवाह कर सकता है, परन्तु जो पर-वर्गके पुरुष हैं, जिनसे कोई सम्बन्ध या रिश्ता नहीं है उनके पुत्रादिकोंके विवाह न करे, न करावे और न अनुमोदना ही करे१ । काम-क्रीड़ा के अङ्गोंको छोड़कर
*अयं भावः स्वसम्बन्धिपुत्रादींश्च विवाहयेत् । परवर्गविवाहांश्च कारयेन्नानुमोदयेत् ।।७४।। ...
लाटीसंहिता सग ६.