Book Title: Chhahadhala Author(s): Daulatram Pandit, Hiralal Nyayatirth Publisher: B D Jain Sangh View full book textPage 205
________________ २०० छहढाला रह गई हो, तो बुद्धिमान लोग उसे सुधार कर पढ़ें, जिससे कि वे संसारका किनारा शीघ्र प्राप्त कर सकें। इस प्रकार मुनिधर्मका वर्णन करने वाली छठीढाल समाप्त हुई। MINPage Navigation
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