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छहढाला
सामायिक पाठको जल्दी बोलना, कुछका कुछ बोलने लगना, किसीके कुछ पूछने पर हाँ, हूँ आदि करना सो वचोदुःप्रणिधान नामका दूसरा अतिचार है । सामायिक करते समय हाथ पाँव,
आदिको हिलाना, ठीक आसन नहीं मारना, हाथके इशारेसे किसीको बुलाना, संकेत आदि करना आदि कायदुःप्रणिधान नामका तीसरा अतिचार है। सामायिक करनेमें आदर और उत्साह नहीं रखना, नियत समय पर सामायिक नहीं करना, जिस किसी प्रकारसे यद्वा तद्वा पाठ आदि पढ़के पूरा करना सो अनादर नामका चौथा अतिचार है । सामायिक करना ही भूल जाना, या सामायिक पाठको पढ़ते हुए चित्तके अन्यत्र चले जाने से सामायिक की क्रियाओंको भूलजाना सो अस्मरण नामका पाँचवाँ अतिचार है।
(२) प्रोषधोपवास शिक्षाबतके अतिचारः-उपवासके दिन बिना देखे बिना शोधे पूजाके उपकरण शास्त्र वगैरहको घसीट कर उठाना अष्टमृष्टग्रहण नामका पहला अतिचार है । इसी प्रकार उपवासके दिन बिना देखी विना शोधी भूमि पर मलमूत्रादि करना सो अदृष्टमृष्ट-विसर्ग नामका दूसरा अतिचार है। उपवासके दिन विना देखी, विना शोधी बिना साफ की हुई भूमि पर बैठना, विस्तर चटाई आदि बिछा देना सो अदृष्ट
"वाक्कायमानसानां दुःप्रणिधानान्यनादरास्मरणे । सामयिकस्यातिगमा व्यज्यन्ते च भावेन ॥
रत्नक.