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छहढाला ____ इस सल्लेखना या समाधिमरणकी विधि यह है कि जब अपना मरण निश्चित जान ले, तब अपने सब कुटुम्ब परिवार और बन्धु जनोंसे स्नेह छोड़ दे, शत्रुओंसे वैर भाव छोड़दे, और अत्यन्त विनम्र भावसे सब जनोंसे प्रिय वचनों द्वारा क्षमा कराकर स्वयं भी सब जनोंको क्षमा करे । तत्पश्चात् किसी योग्य निर्यापकाचार्य ( समाधिमरण करानेमें अत्यन्त कुशलमहासाधु ) के पास जाकर समस्त परिग्रहादिको छोड़कर शुद्ध
और प्रसन्न चित्त होकर अपने इस जीवन-सम्बन्धी सर्व पापोंकी निश्छल भावसे आलोचना करे, तथा मन, वचन, काय और कृत, कारित अनुमोदनासे जीवन पर्यन्तके लिए पांचों पापोंका सर्वथा त्यागकर महाव्रतों को धारण करे । पुनः शोक, भय, विषाद, स्नेह, कालुष्य और राग द्वषको छोड़कर अमृतमय शास्त्र-वचनोंसे आत्माको तृप्त करे, मनको प्रसन्न करे । और अपने बल-वीर्यको प्रकट कर, उत्साहित हो पहले आहारका क्रमशःत्याग करे और दुग्ध आदि स्निग्ध पान पर रहे । तदनन्तर स्निग्ध पान को भी त्यागकर कांजी, गरम पानी आदि खरपान पर रहे । तत्पश्चात् क्रमसे खरपानका भी त्याग कर और कुछ
"स्नेहं वैरं संगं परिग्रहं चापहाय शुद्धमनाः । स्वजनं परिजनमपि च क्षान्त्वा क्षमयेत् प्रियैर्वचनैः ॥ अालोच्य सर्वमेनः कृतकारितमनुमतं च निर्व्याजम् । अारोपयेन्महाव्रतमामरणस्थायि निःशेषम् ।।
रत्नक.