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छहढाला ___ शंका-क्या उक्त देव मरकर सभी प्रकारके एकेन्द्रियोंमें उत्पन्न होते हैं ?
समाधान-नहीं, किन्तु पृथिवी-कायिक, जलकायिक और वनस्पतिकायिक इन तीनों जातिके एकेन्द्रियोंमें ही उत्पन्न होते हैं, शेष अग्निकायिक और वायु-कायिक एकेन्द्रियोंमें उत्पन्न नहीं होते हैं । पृथ्वीकायिक जीवोंमें भी सभी जातिके पृथ्वी-कायिकों में नहीं, किन्तु हीरा, पन्ना, नीलम आदि ऊँच जाति की रत्नमयी पृथ्वीकायिक जीवोंमें उनकी उत्पत्ति होती है । जल कायिकमें भी सभी जातिके जल-कायिक जीवोंमें नहीं, किन्तु स्वातिबिन्दु जैसे जल-कायिक जीवोंमें उत्पत्ति होती है, जोकि जलमोती या गजमुक्ताके रूपमें परिणत होता है । इसी प्रकार वनस्पति कायिकमें भी गुलाब, चमेली, वेला, चम्पा आदि उत्तम जातिके पुष्पवृक्षोंमें और नारियल, अनार, केला, सेब, आम आदि उत्तम जातिके फल वृक्षोंमें उत्पन्न होता है।
शंका-दूसरे स्वर्गसे ऊपरके मिथ्यादृष्टि देव किन-किन योनियोंमें जन्म लेते हैं ?
समाधान-तीसरे स्वर्ग से लेकर बारहवें स्वर्ग तकके मिथ्यादृष्टि देव संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यचों और मनुष्योंमें जन्म लेते हैं। इससे ऊपर के देव मनुष्य योनियों ही जन्म लेते हैं। __शंका-किन कारणोंसे जीव वैमानिक देवों में उत्पन्न होता है ?