Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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सत्तमो उद्देसओ : नेरइए
सप्तम उद्देशक : नैरयिक
नारकादि चौबीस दण्डकों के उत्पाद, उद्वर्तन और आहारसम्बन्धी प्ररूपणा
१. [ १ ] नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववज्जमाणे किं देसेणं देसं उववज्जति १, देसेणं सव्वं ववज्जति २, सव्वेणं दे उववज्जति ३, सव्वेणं सव्वं उववज्जति ४ ?
गोयमा ! नो देसेणं देसं उववज्जति, नो देसेणं सव्वं उववज्जति, नो सव्वेणं देसं उववज्जति, सव्वेणं सव्वं उववज्जति ।
[ २ ] जहा नेरइए एवं जाव वेमाणिए ।१ ।
[१-१ प्र.] भगवन् ! नारकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है या एक भाग से सर्व भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है, या सर्वभाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न होता अथवा सब भागों से सब भागों को आश्रय करके उत्पन्न होता है ?
[१-१ उ.] गौतम ! नारक जीव एक भाग से एक भाग को आश्रित करके उत्पन्न नहीं होता; एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके भी उत्पन्न नहीं होता, और सर्वभाग से एक भाग को आश्रित करके भी उत्पन्न नहीं होता; किन्तु सर्वभाग से सर्वभाग को आश्रित करके उत्पन्न होता है।
[१-२] नारकों के समान वैमानिकों तक इसी प्रकार समझना चाहिए ।
२[ १ ] नेरइए णं भंते! नेरइएसु उववज्जमाणे किं देसेणं देसं आहारेति १, देसेणं सव्वं आहारेति २, सव्वेणं देसं आहारेति ३, सव्वेणं सव्वं आहारेति ४ ?
गोयमा ! नो देसेणं देसं आहारेति, नो देसेणं सव्वं आहारेति, सव्वेण वा देसं आहारेति, सव्वेण वा सव्वं आहारेति ।
[२] एवं जाव वेमाणिए । २ ।
[२-१ प्र.] नारकों में उत्पन्न होता हुआ नारक जीव क्या एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, एक भाग से सर्वभाग को आश्रित करके आहार करता है, सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है ?
[२-१ उ.] गौतम ! वह एक भाग से एक भाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, एक भाग सर्वभाग को आश्रित करके आहार नहीं करता, किन्तु सर्वभागों से एक भाग को आश्रित करके आहार करता है, अथवा सर्वभागों से सर्वभागों को आश्रित करके आहार करता है।
[२-२] नारकों के समान ही वैमानिकों तक इसी प्रकार जानना ।
३. नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो उव्वट्टमाणे किं देसेणं देसं उव्वट्टति ?
जहा उववज्जमाणे (सु. १ ) तहेव उव्वट्टमाणे वि दंडगो भाणितव्वो । ३ ।