Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
४८६]
[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र _ [१३-१ उ.] गौतम! त्रिप्रदेशीस्कन्ध परमाणुपुद्गल को तीसरे, छठे और नौवें विकल्प से; (अर्थात्-एकदेश से सर्व को, बहुत देशों से सर्व को और सर्व से सर्व को) स्पर्श करता है।
[२] तिपदेसिओ दुपदेसियं फुसमाणो पढमएणं ततियएणं चउत्थ-छट्ठ-सत्तम-णवमेहिं फुसति।
[१३-२] त्रिप्रदेशी स्कन्ध, द्विप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ पहले, तीसरे, चौथे, छठे, सातवें और नौवें विकल्प से स्पर्श करता है।
[३] तिपदेसिओ तिपदेसियं फुसमाणो सव्वेसु वि ठाणेसु फुसति।
[१३-३] त्रिप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करता त्रिप्रदेशीस्कन्ध पूर्वोक्त सभी स्थानों (नौ ही विकल्पों) से स्पर्श करता है।
__ [४] जहा तिपदेसिओ तिपदेसियं फुसावितो एवं तिपदेसिओ जाव अणंतपएसिएणं संजोएयव्यो।
[१३-४] जिस प्रकार त्रिप्रदेशीस्कन्ध द्वारा त्रिप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करने के सम्बन्ध में आलापक कहा गया है, उसी प्रकार त्रिप्रदेशीस्कन्ध द्वारा चतुष्पद्रेशीस्कन्ध, यावत् अनन्तप्रदेशीस्कन्ध को स्पर्श करने के सम्बन्ध में आलापक कहना चाहिए।
[५] जहा तिपदेसिओ एवं जाव अणंतपएसिओ भाणियव्यो।
[१३-५] जिस प्रकार त्रिप्रदेशीस्कन्ध के द्वारा स्पर्श के सम्बन्ध में (तेरहवें सूत्र के चार भागों में) कहा गया है, वैसे ही (चतुष्प्रदेशी स्कन्ध से) यावत् (अनन्तप्रदेशीस्कन्ध द्वारा परमाणुपुद्गल से लेकर) अनन्तप्रदेशी स्कन्ध तक को स्पर्श करने के सम्बन्ध में कहना चाहिए।
विवेचन–परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशीस्कन्ध आदि की परस्पर स्पर्श-सम्बन्धी प्ररूपणा प्रस्तुत तीन सूत्रों द्वार परमाणुपुद्गल से लेकर द्विप्रदेशीस्कन्ध, त्रिप्रदेशीस्कन्ध यावत् अनन्तप्रदेशी स्कन्ध के परस्पर स्पर्श की प्ररूपणा नौ विकल्पों में से अमुक विकल्पों द्वारा की गई है।
स्पर्श के नौ विकल्प (१) एकदेश से एकदेश का स्पर्श, (२) एकदेश से बहुत देशों का स्पर्श (३) एकदेश से सर्व का स्पर्श, (४) बहुत देशों से एक देश का स्पर्श, (५) बहुत देशों से बहुत देशों का स्पर्श, (६) बहुत देशों से सर्व का स्पर्श, (७) सर्व से एकदेश का स्पर्श (८) सर्व से बहुत देशों का स्पर्श और (९) सर्व से सर्व का स्पर्श । देश का अर्थ यहाँ भाग है, और 'सर्व' का अर्थ है–सम्पूर्ण भाग।
सर्व से सर्व के स्पर्श की व्याख्या सर्व से सर्व को स्पर्श करने का अर्थ यह नहीं है कि दो परमाणु परस्पर मिलकर एक हो जाते हैं, परन्तु इसका अर्थ यह है कि दो परमाणु समस्त स्वात्मा द्वारा परस्पर एक दूसरे का स्पर्श करते हैं, क्योंकि दो परमाणुओं के आधा आदि विभाग नहीं होते।
द्विप्रदेशी और त्रिप्रदेशी स्कन्ध में अन्तर—द्विप्रदेशीस्कन्ध स्वयं अवयवी है, वह किसी का अवयव नहीं है, इसलिए इसमें सर्व से दो (बहुत) देशों का स्पर्श घटित नहीं होता, जबकि त्रिप्रदेशी