Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 525
________________ ४८४] [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र हैं, जबकि जो त्रिप्रदेशी जैसे विषम (तीन - पांच, सात, नौ आदि एकी) संख्या वाले स्कन्ध होते हैं वे अनर्ध, समध्य और सप्रदेश होते हैं । इसी प्रकार संख्यातप्रदेशी, असंख्यातप्रदेशी और अनन्तप्रदेशी स्कन्धों में जो समसंख्यकप्रदेशी होते हैं, वे सार्ध, अमध्य और सप्रदेशी होते हैं, और जो विषम संख्यकप्रदेशी होते हैं, वे अनर्द्ध, समध्य और सप्रदेश होते हैं । सार्ध, समध्य, सप्रदेश, अनर्द्ध, अमध्य और अप्रदेश सअड्ढे = सार्ध, जिसका बराबर आधा भाग हो सके, समज्झे मध्यसहित — — जिसका मध्य भाग हो, सप्पदेसे= जो स्कन्ध प्रदेशयुक्त होता है । अणद्धे = जो स्कन्ध अर्द्धरहित (अनर्द्ध) होता है, अमज्झे जिस स्कन्ध के मध्य नहीं होता, और अप्रदेश— प्रदेशरहित । १ परमाणुपुद्गल - द्विप्रदेशी आदि स्कन्धों की परस्पर स्पर्शप्ररूपणा ११. [ १ ] परमाणुपोग्गले णं भंते! परमाणुपोग्गलं पुसमाणे किं देसेणं सं फुसति १ ? देसेणं देसे फुसति २ ? देसेणं सव्वं फुसति ३ ? देसेहिं देसं फुसति ४ ? देसेहिं देसे फुसति ५ ? देसेहिं सव्वं फुसति ६ ? सव्वेणं देसं फुसति ७ ? सव्वेणं देसे फुसति ८ ? सव्वेणं सव्वं फुसति ९ ? गोयमा! नो देसेणं देसं फुसति, नो देसेणं देसे फुसति, नो देसेणं सव्वं फुसति, णो देसेहिं देसं फुसति, नो देसेहिं देसे फुसति, नो देसेहिं सव्वं फुसति, णो सव्वेणं देसं फुसति, णो सव्वेणं देसे फुसति, सव्वेणं सव्वं फुसति । [११-१ प्र.] भगवन्! परमाणुपुद्गल, परमाणुपुद्गल को स्पर्श करता हुआ १. क्या एक - देश से एकदेश को स्पर्श करता है ?, २. एकदेश से बहुत देशों को स्पर्श करता है?, ३. अथवा एकदेश से सबको स्पर्श करता है?, ४. अथवा बहुत देशों से एकदेश को स्पर्श करता है ?, ५. या बहुत देशों से बहुत देशों को स्पर्श करता है? ६. अथवा बहुत देशों से सभी को स्पर्श करता है?, ७. अथवा सर्व से एकदेश को स्पर्श करता है ?, ८. या सर्व से बहुत देशों को स्पर्श करता है ?, अथवा ९. सर्व से सर्व को स्पर्श करता है ? [११ - १ उ.] गौतम! (परमाणुपुद्गल परमाणुपुद्गल को ) १. एकदेश से एकदेश को स्पर्श नहीं करता, २. एकदेश से बहुत देशों को स्पर्श नहीं करता, ३. एकदेश से सर्व को स्पर्श नहीं करता, ४. बहुत देशों से एकादेश को स्पर्श नहीं करता, ५. बहुत देशों से बहुत देशों को स्पर्श नहीं करता, ६ . बहुत देशों से सभी को स्पर्श नहीं करता, ७. न सर्व से एकदेश को स्पर्श करता है, ८. न सर्व से बहुत देशों को स्पर्श करता है, अपितु ९. सर्व से सर्व को स्पर्श करता है । [ २ ] एवं परमाणुपोग्गले दुपदेसियं फुसमाणे सत्तम-णवमेहिं फुसति । [११-२] इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्श करता हुआ परमाणुपुद्गल सातवें (सर्व से एकदेश का) अथवा नौवें ( सर्व से सर्व का), इन दो विकल्पों से स्पर्श करता है। [ ३ ] परमाणुपोग्गले तिपदेसियं फुसमाणे निप्पच्छिमएहिं तिहिं पुसति । १. भगवतीसूत्र. अ. वृत्ति, पत्रांक २३३

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