Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[२५५ चतुर्थ उद्देशक में भावितात्मा अनगार की जानने, देखने एवं विकुर्वणा करने की शक्ति की, वायुकाय, मेघ आदि द्वारा रूपपरिणमन व गमनसम्बन्धी चर्चा है। चौबीस दण्डकों की लेश्यासम्बन्धी प्ररूपणा है। पंचम उद्देशक में भावितात्मा अनगार द्वारा स्त्री आदि रूपों की वैक्रिय एवं अभियोगसम्बन्धी चर्चा
छठे उद्देशक में मायी-मिथ्यादृष्टि एवं अमायी-सम्यग्दृष्टि अनगार द्वारा विकुर्वणा और दर्शन तथा चमरेन्द्रादि के आत्म-रक्षक देवों की संख्या का प्ररूपण है। सातवें उद्देशक में शक्रेन्द्र के चारों लोकपालों के विमानस्थान आदि से सम्बन्धित वर्णन है। आठवें उद्देशक में भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों के अधिपतियों का वर्णन
है।
नौवें उद्देशक में पंचेन्द्रिय-विषयों से सम्बन्धित अतिदेशात्मक वर्णन है। दसवें उद्देशक में चमरेन्द्र से लेकर अच्युतेन्द्र तक की परिषदा-सम्बन्धी प्ररूपणा है।
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१. (क) वियाहपण्णत्तिसुत्तं (मूल पाठ-टिप्पणयुक्त), भा.१ पृ. ३४ से ३६ तक।
(ख) श्रीमद्भगवतीसूत्रम् (टीकानुवाद टिप्पणयुक्त), खण्ड-२, पृ.१-२