Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
सूत्र में जीवाभिगमोक्त सूत्रपाठ का लोकस्थिति - लोकानुभाव - पर्यन्त अतिदेश करके लवणसमुद्र सम्बन्धी निरूपण किया गया है।
जीवाभिगम में लवणसमुद्र-सम्बन्धी वर्णन : संक्षेप में लवणसमुद्र का संस्थान गोतीर्थ, नौका, सीप - सम्पुट, अश्वस्कन्ध और वलभी के जैसा, गोल चूड़ी के आकार का है। उसका चक्रवालविष्कम्भ २लाख योजन का है। तथा १५८१९३९ से कुछ अधिक उसका परिक्षेप (घेरा) है। उसका उद्वेध (गहराई ) १ हजार योजन है। इसकी ऊँचाई १६ हजार योजन, सर्वाग्र १७ हजार योजन का है। इतने विस्तृत और विशाल लवणसमुद्र से अब तक जम्बूद्वीप क्यों नहीं डूबा, इसका कारण है— भारत और ऐरवत क्षेत्रों में स्वभाव से भद्र, विनीत, उपशान्त, मन्दकषाय, सरल, कोमल, जितेन्द्रिय, भद्र और नम्र अरिहन्त, चक्रवर्ती, बलदेव, चारण, विद्याधर, श्रमण, श्रमणी श्रावक, श्राविका एवं धर्मात्मा मनुष्य हैं, उनके प्रभाव से लवणसमुद्र जम्बूद्वीप को डुबाता नहीं है, यावत् जलमय नहीं करता यावत् इस प्रकार का लोक का स्वभाव भी है, यहाँ तक कहना चाहिए ।
॥ पंचम शतकः द्वितीय उद्देशक समाप्त ॥
१. (क) भगवती. अ. वृत्ति, पत्रांक २१४
(ख) जीवाभिगमसूत्र प्रतिपत्ति ३, उद्देशक २, सूत्र १७३, लवणसमुद्राधिकार पृ. ३२४-२५)