Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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[व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र अट्ठम (निरन्तर तेले-तेले) का था और उसका अनशन था—अर्द्धमासिक (१५ दिन का)। तिष्यक श्रमण की दीक्षापर्याय आठ वर्ष की थी, और कुरुदत्तपुत्र श्रमण की थी-छह मास की। (इन दोनों से सम्बन्धित विषय इस उद्देशक में आया है।) इसके अतिरिक्त (दूसरे विषय आए हैं, जैसे कि) दो इन्द्रों के विमानों की ऊँचाई, एक इन्द्र का दूसरे के पास आगमन (प्रादुर्भाव) परस्पर प्रेक्षण (अवलोकन), उनका आलाप-संलाप, उनका कार्य, उनमें विवादोत्पत्ति तथा उनका निपटारा, तथा सनत्कुमारेन्द्र की भवसिद्धिकता आदि विषयों का निरूपण इस उद्देशक में किया गया है।
॥मोका समाप्त॥ विवेचन तृतीय शतक के प्रथम उद्देशक की दो संग्रहणी गाथाएँ—यहाँ प्रथम उद्देशक में प्रतिपादित विषयों का संक्षेप में संकेत दो गाथाओं द्वारा दिया गया है।
॥ तृतीय शतक : प्रथम उद्देशक समाप्त॥
१. भगवतीसूत्र अ. वृत्ति, पत्रांक १६९