Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चतुर्थ शतक : उद्देशक-९]
[३९७ ज्ञान वाला होता है ?—(उ.) गौतम! वह दो ज्ञान, तीन ज्ञान या चार ज्ञान वाला होता है। यदि दो ज्ञान हों तो–मति और श्रुत होते हैं, तीन ज्ञान हों तो मति, श्रुत और अवधि अथवा मति, श्रुत और मनःपर्यायज्ञान होते हैं, यदि चार ज्ञान हों तो मति, श्रुत, अवधि और मनःपर्यायज्ञान होते हैं, इत्यादि जानना चाहिए।
॥ चतुर्थ शतक : नवम उद्देशक समाप्त॥
१. (क) कण्हलेस्से णं भंते! जीवे कइसु (कयरेसु) नाणेसु होज्जा ? गोयमा! दोसु वा, तिसु वा, चउसु वा नाणेसु होज्जा। दोस होज्जमाणे आभिणिबोहिअ-सुअणाणेसु होज्जा, ...इत्यादि।
-प्रज्ञापना पद १७ उ-३ (पृ. २९१ म.वि.) (ख) भगवतीसूत्र अ. वृत्ति, पत्रांक २०५