________________
(२२)
योगचिन्तामणि:-
[पाकाधिकार:
RSS
BSI
ca-
सात कला, सात आशय, सात धातु, सात ही धातुओंके मल, सात उपधातु, सात त्वचा, तीन दोष, नौ सौ नाडी, दो सौ दश नाडियोंकी सन्धि, दो सौ हड्डी, एक सौ सात मर्मस्थान, सात सौ नसें, चौबीस रसकी बहने वाली धमनीनाडी, पांच सौ मांस पेशी हैं. स्त्रियोंके बीस अधिक हैं सोलह कंड़रा, पुरुषके देहमें दश छिद्र हैं. स्त्रीके देहमें तेरह छिद्र हैं यह संक्षेपसे शारीरक कहा है। अब विस्तारसे कहता हूं ॥ १--५ ॥
मांसामृङ्मेदसां तिस्रो यकृत्प्लीबोश्चतुर्थिका । पञ्चमीच तथाऽन्त्राणां षष्ठी चानिधरा स्मृता॥ रेतोधारा सप्तमी स्यादिति सप्त कला मताः॥६॥ १ मांस, २ रुधिर, ३ मेद, ४ प्लीह, ५ यकृत-आंतोंकी पांचवीं, ६ अग्निधरा और वीर्यके धारण करनेवाली सातवीं कला है. ये सात कला हैं ॥ ६ ॥
श्लेष्माशयः स्यादरसि तस्मादामाशयस्त्वधः ॥७॥ उर्ध्वमग्न्याशयो नाभेर्वामभागे व्यवस्थितः।
Aho! Shrutgyanam