Book Title: Yog Chintamani Satik
Author(s): Harshkirtisuri
Publisher: Gangavishnu Shrikrishnadas

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Page 350
________________ सप्तमः ] भाषाटीकासहितः । ( ३२९ ) दिन दूधके साथ पीवे तो उसके पुत्र होय अथवा नागकेशर और विजौरेकी जड दूधके संग पीवे ॥ ४-६ ॥ शिफा बर्हिशिखायास्तु क्षीरेण परिपेषितम् । पिबेतुमती नारी गर्भधारणहेतवे ॥ ७ ॥ पिप्पली शृङ्गवेरं च मरिचं केशरं तथा । घृतेन सह पातव्यं वन्ध्यापि लभते सुतम् ॥ ८ ॥ कोरंटकोऽश्वगन्धां च कर्कोटी शिखिचूलिका | एकैका कुरुते गर्भे पीता क्षीरेण योषिताम् ॥ ९ ॥ अथ मुक्ताफलमर्द्धमविद्धमृतुकालेऽर्द्धं सुजातिफलेन । विद्रुमखण्डयुतं सपयस्कं पुत्रकरं युवतेस्त्रिदिनस्थम् ॥ १० ॥ 1 मोरशिखाके पंचांगको दूधके साथ पीवे, अथवा पीपली, अदरक, मिरच, नागकेशर इनको वृतके साथ पीवे, अथवा पियाबांकी जड, असगंध, ककोडाकी जड और मोरशिखा यह एक एक औषधि गर्भको, करता है अथवा अनविधा मोती आधा, जायफल आधा, मूंगा आधा इनको वंध्या स्त्री तीन दिन पीवे तो गर्भ होवे ॥ ७-१० ॥ गर्भनिवारणम् । पलाशत रुबीजानि पिबेत्पुष्पवती तु या । सलिलेन त्र्यहं यावत्सा वेश्या याति वन्ध्यताम् ॥ १ ॥ फलं त्र पुषबीजानि या नारी पुष्पदर्शनात् । पिबेदिनानि सप्ताष्टौ यदि नेच्छेत्प्रसूयितुम् ॥ २ ॥ उत्काल्य बदरीलाक्षां तैलेन सह या पिबेत् । द्विकर्ष च ऋतोरन्ते तस्या गर्भो न जायते ॥ ३ ॥ Aho ! Shrutgyanam

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