Book Title: Yog Chintamani Satik
Author(s): Harshkirtisuri
Publisher: Gangavishnu Shrikrishnadas

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Page 351
________________ ( ३३० ) योगचिन्तामणिः । [ मिश्रा धिकारः स०] : ढाकके बीज तीन दिन ऋतुमती स्त्री घोटकर जलमें पीवे तो वेश्याभी वंध्या होवे अथवा खीराके बीज ऋतुमती सात आठ दिन पीवे तो वंध्या होय अथवा बेरकी लाखको औटाकर तेलके साथ दो कर्ष पीछे तो उस स्त्रीको गर्भ न रहे ॥ १-३ ॥ गर्भपातनम् | स्फटिकां वंशाशलीं चोत्काल्य कर्षद्वयं पिबेत् । त्र्यहं वाप्यथ सप्ताहं भ्रूणः पतति निश्चितम् ॥ १ ॥ नागपुरीययतिवरश्रीहषर्का र्तिसंकलित । वैद्यकसारोद्धारे सप्तम मिश्राधिकारोऽयम् ॥ ७ ॥ फिटकरी, बांसकी छाल इन दोनोंको औटाकर ८ टंकक अनुमान नित्य खाय अथवा तीन या सात दिन पीवे तो गा पतन होय || इति श्रीदत्तराम चौबेकृतमाथुरी मंजूषाभाषा टीकायां मिश्राधिकारः सप्तमः ॥ ७ ॥ Aho! Shrutgyanam

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