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प्रथमः ] ...
मापाटीकासहितः।
(५५)
अजीर्ण वातरक्त, तापतिल्ली, आमवात, सुजन, शूल, वादी, बवासीर, पाण्डुरोग, कामला, संग्रहणी, गोला और जो वातकफसे प्रगट रोग हैं वे सब नष्ट होते हैं जैसे सूर्योदयसे अंधकार नष्ट होता है । एक महीना खानसे वृद्ध मनुष्य भी तरुणत.को प्राप्त होता है, मंदाग्निवालेको परम हित है, बलकर्ता, बालक के अंगको पुष्ट करता है, स्त्रियों के प्रसवमें दूध और देह को पुष्ट करें. जबतक स्तन छोटे होवें तबतक दूधसे परिपूर्ण रहें. क्षीण और अल्पवीर्यवाले पुरुषको हित है. कामदेव
और अग्निका दीपन करता है, सकल व्याधियोंका हर्ता सर्वोत्तम योग है ॥ ८-१७॥
अफीमपाक।
आकल्लकं केशरदेवपुष्पं जातीफलं भृङ्गसहं सपाकम् । एतानि कुर्वीत सहानि विद्वान्मूलार्द्ध भागं क्षिप नागफेनम् ॥ १॥क्षीरेण फेनं परिपच्य बद्धा मूलासितां पाणमानयोग्याम् । विमय कुर्यागुटिकां निशायां मुखे कृता कामयते शतानि ॥ २॥ आसेवनं यः प्रकरीति नित्यं दृढोबताङ्ग:सच मानवः स्यात् । स मत्तमातंगबली
सकामी व्रजन्ति रोगाः क्षयजाश्च सर्वे ॥ ३ ॥ ____ अकरकरा, केशर, लौंग जायफल, भाँग, शिंगरफ सबसे आधी अफीम प्रथम अफीमको इस प्रकार शुद्ध करे--प्रथम दे.लायंत्र बनाकर इस हांडीमें शेरभर दूध भरे पीछे अफीमको किसी वस्त्रमें बांध उस हांडमि अधर लटका देवे, नीचे अग्नि बाले जब दूध गाढा होजावे बब उस पोटलीको निकाल लेवे. पीछे उसे उस पाकमें मिलावे. इस
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