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सप्तमः J
मापाटीकासहितः ।
( २६५ )
करे । फिर १ पल कपूर, ४ पल जायफल, समुद्रशोष, लौंग, कस्तूरी १ टैंक इन सबको मिलाकर वर्ते । इस चन्द्रोदय नाम रसको एक मासा पानमें खावे तो १०० मदमाती स्त्रियोंका गर्व भञ्जन करे । ऊपरसे कढती बिरियाका दूध पीवे, नरम मांस खावे, मैदाको रोटी, तीतर और गरिष्ठ वस्तु गरिष्ठ बीज पथ्य ले आनंदकारी भोजन करे तो बुढापे को दूर करे देह पुष्ट करे, स्तंभनकारक है, सम्पूर्ण रोगों को दूर करे, हाथीरूप रोगोंको यह रस सिंहसमान जानो, जिसके घर में चन्द्रोदय रस नहीं है वे मृगनयनियों को कैसे प्यार लगे ? ॥ १-६ ॥ कामदेव सः ।
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स्व शुल्वं केशरं लोहचूर्ण जातीपत्रं सर्पफेनं लवङ्गम् । एलासूक्ष्मं क्षीरकं कोलनागजातीजातं चीणकावा वियुक्तम् ||१|| अब्धेः शोषं सप्तकर्षाक्षदेशक्षौदैर्मिश्रं मिश्रमाकलयुक्तम् | क्षीणे वीर्ये रेतसां सागरोऽयं सायं भक्षेद्यो गुटीं वलयुक्ताम् ॥२॥ गच्छेन्नारीः साध्ययोगात्सहस्रं वृद्धो देहैर्यातु तारुण्यभाजम् । रामावश्यं सर्वकाले कृतौ च प्रोको वैद्यैः कामदेवो रसोऽयम् ॥ ३ ॥
अभ्रक, तांचा, केशर, लोहसार, जावित्री, तमालपत्र, अफीम, लौंग छोटी इलायची, क्षीरकाकोली, नागकेशर, जायफल, कबाबचीनी, चन्द्रोदय, समुद्रशोष ये सब औषधी सात कर्षके समान लेवे । इसमें शहद, मिश्री और अकरकरा मिलाकर लेवे तो क्षीणवीर्यवाला मनुष्य व्यपार वीर्यवाला होवे । इसकी गोली छः छः रत्तीकी बनाकर सायं
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