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प्रथमः ]
भाषाटीकासहितः ।
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बीज, अडूसा, सेमलके बीज, कौंच के बीज, त्रिफला ये औषषि बराबर लेकर इन सबकी चौथाई भांग ले और सब औषधियोंसे दूनी मिश्री डाले पीछे शहद और घी डालकर दो दो टंकके अनुमान लड्डू बनालेवे अथवा अवलेह बनाकर नित्य सेवन करे और इसके ऊपर दूध पीवे तो वीर्यस्तंभन होवे, स्त्रियोंको वश करे, अत्यन्त सुख दे, स्त्री द्रवें, क्षीण मनुष्योंको पुष्टि करे, क्षयको दूर करे, सब रोगोंको नष्ट करे, खांसी, श्वास, घोर अतीसार, घोर कफके रोग इनका नाश करे, सदैव आनन्द कर्ता, कविता करने की शक्तिको बढावे, सर्वगुण धारणकर्ता होवे बहुत कहने में क्या है. यह अमृतके तुल्य है. इसको एक वर्ष सेवन करने से मृत्यु और पलितरोगादिक सब नष्ट होवें ॥ १-४ ॥
स्त्रीयोग्य सौभाग्यशुंठी ।
प्रस्थत्रयं शुद्धमहौषधस्य विपाचयेद्गव्यघृते समे च। चतुर्गुणः क्षीरसमं च खण्डं सुशुद्धताम्रायसजे कटाहे || १ || प्रत्येकजातीफलत्रैफलेन जातीद्वयं धान्यशताह्वयेन । एलोपकुल्याघनवालकानां द्राक्षा विदारी घनसारकं च ॥ २ ॥ खर्जूरिकाचैव पलार्द्धमात्र पलाष्टकं शीर्षफलं विदध्यात्। पादांशमेवाश्मजिदायसं च द्विपादयुक्तं मिसिचारुबी. जम् ॥ ३ ॥ त्रिवृत्पलाष्टौ शुभमेकपिंडीगन्धाढयमाधुर्यविमिश्रिता च ॥ ४॥
वाडकी सोंठ पांच सेरको पांच सेर गौके धीमें भूने पीछे उस सोंठको बीस सेर गौके दूधमें खोवा करे तदनंतर बीस सेर
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