________________
प्रथमः] भाषाटीकासहितः। (२३)
तस्योपरि तिलं ज्ञेयं तदधः पवनाशयः॥ ८॥ मलाशयस्त्वधस्तस्मादस्तिमूत्राशयस्त्वधः। जीवरक्ताशयमुरो ज्ञेयाः सप्ताशयास्त्वमी ॥९॥ पुरुषेभ्योऽधिकाश्चान्ये नारीणामाशयास्त्रयः। धरा गर्भाशयः प्रोक्तःस्तनौ स्तन्याशयौ मतौ॥१०॥ उरमें कफाशय है, उसके नीचे आमाशय है, उसके ऊपर नाभिके वामभागमें अग्न्याशय है, उसके ऊपर तिल है, यह प्यासका स्थान है। उसके नीचे पवनाशय है, पवनाशयके नीचे मलाशय है, मला' शयके नीचे मूत्राशय है, उरमें जीवरक्ताशय है । ये सात आशय हैं । पुरुषोंसे स्त्रियोंके तीन आशय आधिक हैं एक गर्भाशय और दो स्तनाशय ॥ ७-१० ॥ रसामृङ्मांसमेदोस्थिमज्जाशुक्राणि धातवः । जायन्तेऽन्योन्यतः सर्वे पाचिताः पित्ततेजसा ॥११॥ रस, रधिर, मांस, मेदा, अस्थि (हड्डी), मज्जा और शुक्र ये सात धातु पित्तके तेजसे पाचन होकर अन्यान्य प्रकट होते हैं ॥ ११ ॥ जिह्वानेत्रकपोलानां जलं पित्तं च रञ्जकम् । कर्णविड्रसनादन्तकक्षमेद्रादिजं मलम् ॥ १२॥ नखनेत्रमलं वक्रे स्निग्धत पिडिकास्तथा । जायन्ते सप्त धातूनां मलान्येतान्यनुक्रमात् ॥१३॥
जीभ, नेत्र और कपोल इनमें जो जल है वह रस धातुका मल है, रंजकपित्त रुधिरका मल है, कानका मैल मांसका मल है । जीभ, दांत, बगल और लिंग इनमें जो मल होता है वह मेदका मल है। नख, केश, रोम ये हड्डीके मल हैं नेत्रमें जो कीचड आती है और
Aho! Shrutgyanam