________________ 28 ] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान = = ======= ======= गजदंत सु चारों जान, प्राणी चारों विदिशामें सही। तिनपर जिन भवन वखान, प्राणी श्री जिनवर पद पूजिये॥३॥ ____ ॐ ह्रीं सुदर्शन मेरुकी अग्निदिशामांही सोमनस // 1 // नैऋत्यदिशा विद्युत्प्रभ // 2 // वायव्यदिश मालवान // 3 // ईशानदिशा गंधमादन नाम गजदन्त पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥४॥ जलं॥ प्राणी मलयागिर अति सीयरो, करपूर सु केसर लाय। प्राणी भव आताप निवारनै, ले श्रीजिनचरण चढ़ाय॥ प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 4 // ॐ ह्रीं. // चंदनं॥ प्राणी देव जीर सुखदासके, ले अक्षत सरस अनूप। प्राणी श्री जिनचरण चढाइये, हो शिवरमणी वर भूप॥ __प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 5 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ प्राणी बेल चमेली केवड़ो, मिल फूल अनेक प्रकार। प्राणी श्री जिनचरण चढाइये, मिटजा उर काम विकार॥ प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 6 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // प्राणी बिंजन नाना भांतिके, सुन्दर नैनेन सुखदाय। प्राणी श्री जिनचरण चढाइये, तब क्षुधारोग सुविलाय॥ ___प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 7 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ प्राणी दीप अमोलक लीजिये, रतननकी जोति जगाय। प्राणी श्रीजिनचरण चढाइये,सब मोहि तिमिर नश जाय॥ ___प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 8 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ प्राणी कुश्नागर कपूर ले, बहु भांति सुगन्ध मिलाय। प्राणी श्री जिनचरण चढाइये, दे कर्म समूह जलाय॥ प्राणी श्रीजिन. // प्राणी मेरुसु. // 9 // ॐ ह्रीं. // धूपं //