________________ 256] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ននននននននននននននននន जै रत्नमई प्रतिमा जिनेश सतआठ अधिक पूजत सुरेश। जै चतुर निकाय देव आय, निज२ नियोग कौतुक कराय॥ सब विद्याधरके ईश जाय, चरन कमल पर शीस नाय। मुखपाठ पढ़े जै जै त्रिकाल,लख जन्मसफल मानत सुलाल॥ घत्ता-दोहा यह जयमाल विशाल है, जिन गुण गही बनाय। धन्य भाग वह पुरुषके जो वांचें मन लाय॥२७॥ इति जयमाल। अथाशीर्वादः - कुसुमलता छन्द मध्यलोक जिन भवन अकीर्तम, ताको पाठ पढे मन लाय। जाके पुन्यतनी अति महिमा, वरणन को कर सके बनाय॥ ताके पुत्र पौत्र अरू संपति, बाटै अधिक सरस सुखदाय। यह भव जस पर भव सुखदाई, सुर नर पद ले शिवपुर जाय॥ इति इत्याशीर्वादः इति श्री विद्युन्माली मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी आठ वक्षार गिरिपर ___ सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा सम्पूर्णम्।