________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [291 NarendraNOTESOSONSrNSSSN अथ मानुषोत्तर पर्वतपर चारों दिश संबंधी चार सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 56 अथ स्थापना-कुसुमलता छन्द दीप अढ़ाई रहो घेरकै, मानुषोत्तर पर्वत सुखदाय। ताको चारों दिशमें इक इक जिनमंदिर भाषे जिनराय॥ तहां जिनबिंब अकीर्तम, सोहैं सुर सुरपति पूजत तहां जाय। हमें शक्ति सो नाहिं जानिये, आह्वानन कर पूजत पाय॥ ___ॐ ह्रीं मानुषोत्तर पर्वतपर चारों दिशा चार जिनमंदिर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं, स्थापनं। अथाष्टकं-चाल छन्द सो गुण हम ध्यावै, सो गुण हम ध्यावै॥ जै पूजत जिनवर शिवपद पावै, सो गुण हम ध्यावै॥टेक॥ जै उज्वल जल सुन्दर सुखदाई, सो गुण हम ध्यावै॥ जै जजत जिनेश्वर भविजन भाई, सो गुण हम ध्यावें। जै मानुषोत्तर चारों दिश सोहै, सो गुण हम ध्यावै॥ जै जिनमंदिर पूजत मन मोहै, सो गुण हम ध्यावें // 2 // ___ॐ ह्रीं मानुषोत्तर पर्वतके पूर्व // 1 // दक्षिण॥२॥ पश्चिम // 3 // उत्तर दिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥४॥ जलं॥ जै मलयागिर चंदन घिस लावो, सो गुण हम ध्यावे। जै श्री जिन चरननको सु चढ़ावो, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 3 // ॐ ह्रीं. // चंदनं॥ "" मला