________________ 290] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ASNNNNNNNNNNNNNNNNNNN हम पूजत निज धर शक्तिहीन, मंगल गावैं जिन भक्ति लीन। सब समोसरन रचना निहार, सुर गुरु वरनत पार्दै न पार॥ घत्ता-दोहा इक्ष्वाकार शिखर कहैं, श्री जिनभवन विशाल। तिनकी यह जयमाल है, सुर धर गावत भाल॥२०॥ इति जयमाला। अथाशीर्वादः कुसुमलता छन्द मध्यलोक जिन भवन अकीर्तम, ताको पाठ पढै मन लाय। जाके पुन्यतनी अति महिमा, वरणन को कर सके बनाय॥ ताके पुत्र पौत्र अरू संपति, बाटै अधिक सरस सुखदाय। यह भव जस पर भव सुखदाई, सुर नर पद ले शिवपुर जाय॥ इति इत्याशीर्वादः इति श्री पुष्करार्ध द्वीप मध्ये मंदिर विद्युन्माली मेरुके उत्तर दिश दोनों ऐरावत क्षेत्रके बीच इक्ष्वाकार पर्वतपर ___ सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा सम्पूर्णम्। इति पुष्करार्ध द्वीप मध्ये मंदिर विद्युन्माली मेरु संबंधी एकसौ अठ्ठावन जिनमंदिर शाश्वते विराजमान तिनकी पूजा सम्र्पूणम्। इति अढाई द्वीप मध्ये तीनसौ चौरानवें जिनमंदिर शाश्वते विराजमान तिनका पूजन पाठ सम्पूर्णम्।