Book Title: Terah Dwip Puja Vidhan
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 301
________________ 292] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ធផលជាផ =========== जै मुक्ताफल सम अक्षत लीजे, सो गुण हम ध्यावे। जै श्री जिन सन्मुख पुञ्ज सु दीजै, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 4 // ॐ ह्रीं. // अक्षतं // जै नानाविधके फूल मंगावो, सो गुण हम ध्यावे। जै श्री जिन चरनन भेट चढ़ावो, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं // जै फेनी घेवर मोदक खाजे, सो गुण हम ध्यावे। जै जजत जिनेश्वर लेकर ताजे, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ जय मणिमई दीपक जोत सुनीकी, सो गुण हम ध्यावे। जै करत आरती जिनवरजीकी, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ जै दस विध धूप सुगंधित खेवो, सो गुण हम ध्यावे। जै श्री जिनवर पदको नित सेवो, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपं॥ जै लौंग लायची श्रीफल भारी, सो गुण हम ध्यावे। जै जिनवर पूज वरो शिव नारी, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ जै जल फल आठों दर्व मिलावो, सो गुण हम ध्यावे। जै पूजत जिनवर शिवपद पावो, सो गुण हम ध्यावे॥ जै मानुषोत्तर. // 10 // ॐ ह्रीं. // अर्घ॥

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