Book Title: Terah Dwip Puja Vidhan
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Digambar Jain Pustakalay
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________________ 296] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान 8888888888888888889 अथ नन्दीश्वर द्वीप संबंधी पूर्वदिश त्रयोदश पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 57 अथ स्थापना-दोहा नन्दीश्वर पूरव दिशा, तेरह श्री जिनगेह। आह्वानन तिनकी करो, मन वच तन धर नेह॥१॥ ___ॐ ह्रीं नन्दीश्वर द्वीपके पूर्वदिश एक अंजनगिर चार दधिमुख गिर आठ रतिकरगिर पर्वत पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं स्थापन। अथाष्टकं-जोगीरासा छन्द रतन कटोरी उज्वल जल ले श्री जिनचरण चढ़ावो। जन्म मरणके दूर करनको, यह कारन मन लावो॥ नन्दीश्वरकी पूरव दिश में, तेरह मंदिर सोहै। सुर सुरपति मिल जत जिनको, प्रभु दर्शन मन मोहै॥२॥ ___ॐ ह्रीं नन्दीश्वर द्वीपके पूर्वदिश संबन्धी अञ्जनगिर // 1 // नन्दी वापी बीच दधिमुखगिर // 2 // नन्दीवापी मुख कौण प्रथम रतिकरगिर // 3 // नन्दीवापी मुख कोण द्वितीय रतिकरगिर // 4 // नन्दवती वापी बीच दधिमुख गिर // 5 // नन्दवती वापी मुख कोण प्रथम रतिकर गिर // 6 // नन्दवती वापी मुख कोण द्वितीय रतिकरगिर॥७॥ नन्दोत्तरा वापी बीच दधिमुखगिर॥८॥ नन्दोत्तरा वापी मुखकोण प्रथम रतिकरगिर॥९॥ नन्दोत्तरा वापी मुख कोण द्वितीय रतिकरगिर // 10 // नन्दपेना वापी बीच दधिमुखगिर // 11 // नंदपेना वापी मुखकोण प्रथम रतिकरगिर // 12 // नन्दपेना वापी मुखकोण द्वितीय रतिकर गिरपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१३॥ जलं॥

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