Book Title: Terah Dwip Puja Vidhan
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Digambar Jain Pustakalay
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________________ 322] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान ធផលនននននននននននននន जहाँ कुण्डल दीप दिपै रिशाल। तिस बीच सु कुण्डलगिर विशाल॥ चहुँ ओर दीप आधो सुघेर। कुण्डलवत गोल परो सुहेर // 17 // जोजन पचहत्तर सहस अङ्ग। उन्नत कंचनके वरन रंग॥ जै गिर ऊपर चहूँ दिश सु चार। जै सिद्धकूट जिनभवन सार // 18 // जै रतनमई प्रतिमा जिनेश। शतआठ अधिक वन्दत सुरेश॥ सब समोसरन रचना निहार / वरनत सुर गुरु पावै न पार // 19 // जै चतुरनिकाय जु देव आय। जै जिन गुण गावै प्रीत लाय॥ जै दुन्दुभि शब्द बजे सु जोर / अनहद सारे बारह किरोर // 20 // जै द्रुम द्रुम द्रुम बाजै मृदंग। निरजर निरजरनी नचैं संग॥ ता थेई थेई थेई धुन रही पूर। जगतारन जिनवर के हजूर // 21 // जिन चरन कमल पूजत सुरेन्द्र। सब देव करत जय जय जिनेन्द्र॥ मन वचन काय भुवि शीश लाय। भवि लाल सदा बल बल सुजाय॥२२॥

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