Book Title: Terah Dwip Puja Vidhan
Author(s): Mulchand Kisandas Kapadia
Publisher: Digambar Jain Pustakalay

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Page 317
________________ 308 ] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान PrNTERNANTRVASNASITrir-ASEARN नाना विध फूल सुवास, सब ऋतुके लीजे। जिन चरण महासुख राम, तिनको पूजिजे॥ नंदीश्वर. // 5 // ॐ ह्रीं. // पुष्पं॥ फे नी गोझा पकवान, नैननको प्यारो। धर कनक रकाबी आन, जिन, चरनन बारो॥ नंदीश्वर. // 6 // ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ वर दीप अमोलिक लाय, भविनज ध्यावत हैं। प्रभु चरननको सु चढाय निज गुण गावत हैं। ___नंदीश्वर. // 7 // ॐ ह्रीं. // दीपं॥ ले दसविध धूप बनाय, खेवत प्रभु आगे। सब कर्मन देत जलाय, ज्ञान कला जागै॥ ___ नंदीश्वर. // 8 // ॐ ह्रीं. // धूपं // फल सुरस सुगन्धित देख, जिन आगे धरिये। कर भक्तिभाव सु विशेख, शिव सुन्दर वरिये॥ नंदीश्वर. // 9 // ॐ ह्रीं. // फलं॥ वसुविध सब दर्व मिलाय, अर्घ सु दीजिजे। जिनराज सु चरण चढ़ाय, निजरस पीजिजे॥ नंदीश्वर. // 10 // ॐ ह्री. // अर्घ // अथ प्रत्येकार्घ-दोहा नन्दीश्वर पश्चिम दिशा, अञ्जनगिरपर जाय। सुरपति जिनमंदिर जज, हम पूजत जिन पाय॥११॥ ___ॐ ह्रीं नन्दीश्वर द्वीपके पश्चिम दिश अंजनगिरि पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ //

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