________________ 27] श्री तरहद्वीप पूजा विधान ANANESENNNNNNNNNNNNNNNN अथ विद्युन्माली मेरुके दक्षिण उत्तर दिश षट्कुलाचल पर्वत पर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 53 अथ स्थापना-कुसुमलता छन्द पंचम गिर दक्षिण अरु उत्तर, षट्कुल गिर भाषे जिनराय। तिनपर श्री जिनभवन अकीर्तम, कंचन वरन रही छबिछाय॥ सुर सुरपति विद्याधर भूपत, पूजा करत सु मन हरषाय। हम आह्वानन करतसु तिनको, निज घर पूजत मंगलगाय॥ ___ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके दक्षिण उत्तर घटकुलाचल पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं, अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधिकरणं स्थापनं। ___अथाष्टकं चाल कार्तिकीकी प्राणी श्री जिनवर पद पूजिये जाके पूजत पुन्य अपार। प्राणी श्री जिनवर पद पूजिये॥ टेक // प्राणी श्री उज्वल अति सीयरो, क्षीरोदधिकी उनहार। प्राणी श्री जिन चरन चढ़ाइये, भवसागरते हों पार॥ प्राणी श्री जिनवर पद पूजिये॥ प्राणी विद्युन्माली मेरूके, दक्षिण अरू उत्तर आन। प्राणी षटकुलगिर अति सोहनो, तिनपर जिनमंदिर जान॥ प्राणी श्री जिनवर पद पूजिये॥२॥ ॐ ह्रीं विद्युन्माली मेरुके दक्षिण दिश निषध // 1 // महाहिम वन // 2 // हिमवन॥३॥ उत्तर दिश नील॥४॥ रूक्म॥५॥ शिखरिन गिर पर्वतपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो।।६।। जलं॥