________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान PANETranarassNNNNNNrsasrananer लाल लागे हैं अमोलिक, कौन उपमा दीजिये। जै देव विद्याधर सु पूजैं, परम उत्सव कीजिये॥ जहां बनो सिंहासन अनूपम, कमल ता पर सोहनो। जापर सु जिनवर बिंब राजै, भविक जन मन मोहनो॥ तीन छत्र सिरपर धरै जग सार हो, तीन जगतके ईश। ढोरत चंवर जु सुर तहा, जगसार हो, सुरपति नावै शीस॥ शीस नावै इन्द्र निशदिन, भक्तिवश पूजा करें। 'देवोपनीत सु द्रव्य लेकर, परम आनन्द उर धरै // जहां अमर अपछरा गीत गा, हाव भाव हसंतिया। रून झुनकर नाचें ठुमक चालैं, झमक मन बिहसंतया॥ तुम गुण महिमा अगम है, जग सार हो, पारन पावै कोय। तुम सेवा जे नर करें, जग सार हो, तिन घर मंगल होय॥ होय मंगल नित नए जहां, सरस पुन्य उपायकै। संसार सागर पर ढेकर, लहै शिव-सुख जायकै॥ यह भांति सुर खग परम हर्षित, करत उत्सव आयकै। हम शक्तिहीन सु दीन है, प्रभु नमत तुम पद ध्यायकै॥ घत्ता-दोहा-जम्बू सालमली तनी, शाखा सरस विशाल। तिनपर जिनमंदिर बने लाल नवावत भाल॥१९॥ ___इति जयमाला। अथाशीर्वाद - कुसुमलता छन्द मध्यलोक जिन भवन अकीर्तम, ताको पाठ पढ़े मन लाय। जाके पुन्यतनी अति महिमा, वर्णन को कर सकै बनाय॥