________________ 138] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान === == ~~ ~~~~~~~~ अथ अचलमेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार गिरि पर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 25 अथ स्थापना-मद अवलिप्तकपोल छन्द / अचलमेरु पूरव दिश वरने, गिर वक्षार आठ सुखकार। तिनपर श्री जिन भवन अकीर्तम, पूजत सुरपति हर्ष अपार॥ विद्याधर भूपत सुर सब मिल, आवत ले ले सब परवार। हम पूजत निज घर जिनवर पद, आह्वानन विधकर मनधार॥ ॐ ह्रीं अचलमेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं / अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं। अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट् सन्निधिकरणं। स्थापनं। अथाष्टकं-चाल सो गुण हम ध्यावै, जै गन फनपति कथि पार न पावै। सो गुण हम ध्यावै॥टेक॥ जै क्षीरोदधिको नीर सु लीजे, सो गुण हम ध्यावै। जै सुवरणकी झारी भर दीजे, सो गुण हम ध्यावै॥ जैले श्री जिनवर चरण चढावो, सो गुण हम ध्यावै। जै भव भव मांही परमसुख पावो, सो गुण हम ध्यावै॥२॥ जै अचलमेरु पूरव दिश जानो, सो गुण हम ध्यावै। जै गिर वक्षार आठ उर आनो सो गुण हम ध्यावै॥ जै तिनपर जिनमंदिर छबि छाजै, सो गुण हम ध्यावै। तहां जिनेश्वर बिम्ब बिराजै, सो गुण हम ध्यावै॥३॥