________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [139 SSSSSSSSSSSSSSSSSSPORA ॐ ह्रीं अचलमेरुके पूरवविदेह सम्बन्धी पाश्चात्य // 1 // चित्रकूट // 2 // पद्मकूट // 3 // नलिन // 4 // त्रिकूट // 5 // प्राच्य // 6 // वैश्रवण // 7 // अंजन नाम वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥ जलं॥ जै मलियागिर चन्दन ले पीरो, सो गुण हम ध्यावै। जै परम सुगंध सुगुण कर सीरो, सो गुण हम ध्यावै॥ जै ले श्री जिनवर चरण चढावों सो गुण हम ध्यावै। जै भव भव मांही परम सुख पावो सो गुण हम ध्यावै॥४॥ जै अचलमेरु.॥५॥ ॐ ह्रीं. // चंदनं॥ जै मुक्ताफल सम अक्षत लीजे, सो गुण हम ध्यावै। जै पुंज मनोहर प्रभु ढिंग दीजे सो गुण हम ध्यावै॥जै ले.६॥ जै अचलमेरु.॥७॥ ॐ ह्रीं. // अक्षतं॥ जै वेल चमेली चंपा लावो, सो गुण हम ध्यावै। जै कमल कमोदनी कर महकावो, सो गुण हम ध्यवै॥जैले. ___ जै अचलमेरु.॥९॥ ॐ ह्रीं. // पुष्पं // जै फेनी घेवर मोदक खाजे सो गुण हम ध्यावै। जै तुरत बनावत सुंदर ताजे, सो गुण हम ध्यावै॥जै ले.१० जै अचलमेरु.॥११॥ॐ ह्रीं.॥ नैवेद्यं // जै मणिमई दीपक जोत प्रजालो, सो गुण हम ध्यावै। जै जगमग जगमग होत दिवालो, सो गुणहम ध्यावै।जैले.१२ जै अचलमेरु.॥१३॥ ॐ ह्रीं.॥ दीपं॥ जै दशविध धूप सुगन्ध बनाओ, सो गुण हम ध्यावै। जै धूपायन घर अगन खिवाओ, सो गुण हम ध्यावै।जैले.१४ जै अचलमेरु.॥१५॥ॐ ह्री.॥धूपं //