________________ श्री तेस्हद्वीप पूजा विधान [ 87 ~~~~NNNNNARSANSravasaree ताके पुत्र पौत्र अरु सम्पति, बाढ़े अधिक सरस सुखदाय। यह भव जस परभव सुखदाई, सुरनर पदले शिवपुर जाय॥ इत्याशीर्वादः। इति श्री विजय मेरू के ईशान नैऋत्यकौन जम्बूसालमली वृक्ष पर सिद्धकूट जिनमंदिरपूजा सम्पूर्णम्। अथ विजय मेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 15 अथ स्थापना-मद अवलिप्तकपोल छंद विजयमेरु पूरव दिश सोहे गिर वक्षार आठ अभिराम। तिनके ऊपर बने अकीर्तम, अति उतंग जिनवरके धाम। सुर विद्याधर पूजन आवै, गावैं जिन गुण आठों जाम। हम तिनकी आह्वानन विधकर पूर्णं श्रीजिनवर इह ठाम॥ ___ॐ ह्रीं विजय मेरुके पूरव विदेह सम्बन्धी आठ वक्षार गिरिपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं अत्र मम सन्निहितो भवर वषट् सन्निधिकरणम् स्थापनं। अथाष्टकं चाल छन्द उज्जल जल प्रासुक लीजे, प्रभु आगै धार सु दीजे। तब जन्म जरा दुख छीजै तब अजर अमर पद लीजै॥ गिर विजय सु पूरव जानो, वक्षार आठ उर आनो। तिनपर जिनमंदिर सो हैं सुर नर खगपति मन मोहैं। ____ ॐ ह्रीं विजयमेरुके पूरवविदेह सम्बन्धी पाश्चात्य ॥१॥चित्रकूट // 2 // पद्मकूट ॥३॥नलिन ॥४॥त्रिकूट ॥५॥प्राच्य ॥६॥वैश्रवण ॥७॥अजननाम वक्षारगिरिपरसिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥जलं॥