________________ 106] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान नलिना देश उदार, विजयके पश्चिम दिश वसै। रुपाचल सु निहार, श्री जिन मंदिर पूजिये॥२५॥ ॐ ह्रीं विजय मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी नलिना देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥६॥ अर्घ॥ कुमदा देश पवित्र, पश्चिम विजय सु मेरुके। विजयारध सु विचित्र, तहां जिनमंदिर नित जजों॥२६॥ ___ॐ ह्रीं विजय मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी कुमदा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥७॥ अर्घ // सरिता देश सु जान, विजयके पश्चिम दिश गिनो। रूपाचल जिन थान, पूजों वसु विध दर्व ले॥२७॥ ॐ ह्रीं विजय मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी सरिता देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥८॥ अर्घ॥ वप्रा देश महान पश्चिम दिश गिर विजयके। जिनमंदिर सुख खान, पूजों गिर वैताड पर // 28 // ___ॐ ह्रीं विजय मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी वप्रा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥९॥ अर्घ॥ पश्चिम विजय विशाल, नाम सुवप्रा देश है। तहां जिन भवन रिशाल, विजयारध पर पूजिये॥२९॥ ॐ ह्रीं विजय मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी सुवप्रा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१०॥ अर्घ॥ / विजय सु पश्चिम देश, महावप्रा मन मोहनो। श्री जिनमंदिर देश, गिर वैताड विर्षे जजों॥३०॥ ___ॐ ह्रीं विजय मेरुके पश्चिम विदेह संबंधी महावप्रा देश संस्थित रूपाचल पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥११॥ अर्घ /