________________ 104] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान प्राणी मलयागिर अति शीयरो, चंदन केसरमें गार। प्राणी श्री जिनचरण चढाइये, भवभव आताप निवार॥ प्राणी श्री जिनवर पद पूजिये इन्द्रादिक पूजत पाय॥ प्राणी विजय मेरु.॥५॥ ॐ ह्री. // चंदनं॥ प्राणी अक्षत सरस सु धोइये, मुक्ताफलकी उनहार। प्राणी श्री जिन सन्मुख पुञ्जदे, लहै अक्षयपद सुखकार॥ प्राणी श्री जिन॥६॥ प्राणी विजय मेरु.॥७॥ ॐ ह्री. // अक्षतं॥ प्राणी वेल चमेली केवडा ले फूल अनेक प्रकार। श्री जिन चरण चढाइये कामादिक बाण निवार॥ ___प्राणी श्री जिन // 8 // प्राणी विजय मेरु.॥९॥ ॐ ह्री. // पुष्पं // प्राणी बावर घेवर आदी दे, नानाविधके पकवान। प्राणी श्री जिनचरण चढ़ाइये, तब गई क्षुधा भयमान॥ प्राणी श्री जिन // 10 // प्राणी विजय मेरु.॥११॥ ॐ ह्री. // नैवेद्यं॥ प्राणी जगमग जगमग होत है, दीपककी जोत प्रकाश। प्राणी श्री जिन आरती कीजिये, हो मोह तिमिरको नाश॥ प्राणी श्री जिन॥१२॥ प्राणी विजय मेरु.॥१३॥ ॐ ह्री. // दीपं // प्राणी कृनागर करपूर ले दशविधकी धूप बनाय। प्राणी श्री जिन आगै खेइये, सब कर्म पुज्ज जल जांय॥ ___प्राणी श्री जिन॥१४॥ प्राणी विजय मेरु.॥१५॥ ॐ ह्री. // धूपं॥ प्राणी लौंग सुपारी लायची, बादाम सु पिस्ता लाय। प्राणी श्री जिन चरण चढाइये, मनवांछित शिव फल पाय॥ प्राणी श्री जिन॥१६॥ प्राणी विजय मेरु.॥१७॥ ॐ ह्री. // फलं॥