________________ 84] श्री तेरहद्वीप पूजा विधान 18888888888888881 जै मुक्ताफल सम अक्षत लीजै सो गुण हम ध्यावै। जै श्री जिन सन्मुख पुज्जसु दीजै, सोगुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥४॥ ॐ ह्रीं // अक्षतं॥ जै कमल केतकी बेला लावो, सो गुण हम ध्यावै। जै श्रीजिनचरणन भेट चढ़ावो, सो गुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥५॥ ॐ ह्रीं // पुष्पं // जै घेबर बावर मोदक खाजे, सो गुण हम ध्या। जै जिनवर पूजन कर धर ताजे, सो गुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥६॥ ॐ ह्रीं // नैवेद्यं॥ जै मणिमई दीपक ले करमाहीं, सो गुण हम ध्यावै। जै मोह तिमिर दीखत कहूँ नाहीं,सो गुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥७॥ ॐ ह्रीं // दीपं / / जै दस विध धूप मनोहर लाई, सो गुण हम ध्यावै। जै श्रीजिन सन्मुख खेवत भाई, सो गुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥८॥ ॐ ह्रीं॥ धूपं॥ जै लौंग छुहारे पिस्ता लावो, सो गुण हम ध्यावै। जै जिनपद पुज शिवफल पावो, सो गुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥९॥ ॐ ह्रीं॥ फलं॥ जै जल फल अर्घ बनाय सु नाचों सो गुण हम ध्यावै। जै लाल सु पूजा मनधर वांचो, सो गुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥१०॥ ॐ ह्रीं॥ अर्घ॥