________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [83 22222222222222222 अथ विजयमेरुके ईशान नैऋत्य कोण जंबूशालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिर पूजा नं. 14 अथ स्थापना-अडिल्ल छन्द विजय मेरुतें उत्तर दक्षिण जानिये। जंबू शालमली दो वृक्ष वखानिये // तिनपर जिनवर भवन विराजत सार जू। आह्वानन विष करो हरष उर धार जू॥१॥ ॐ ह्रीं विजय मेरुके ईशानकोण जंबू वृक्ष अरु दक्षिण नैऋत्यकौण शालमली वृक्षपर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननं / अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं, अत्र मम सन्निहितो भव२ वषट सन्निधिकरणम् स्थापनम्। अथाष्टकं सो गुण हम ध्यावै, सो गुण हम ध्यावें। गण फण पति कथि पार न पावै, सो गुण हम ध्या३।।टेक.॥ जै क्षीरोदध उज्जल जल लावो, सो गुण हम ध्यावै। जै श्री जिन चरणनको सुचढावो सो गुण हम ध्यावै॥ जै जंबू शालमली पर जानो, सो गुण हम ध्यावै। जै जिनमंदिर पूजत सुख मानो, सो गुण हम ध्यावै॥२॥ ___ॐ ह्रीं विजयमेरुके उत्तर दिशा ईशान कोण जम्बूवृक्ष // 1 // दक्षिण दिश नैऋत्यकौण शालमली वृक्षका पूरव शाखा पर सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥२॥ जलं॥ जै मलयागिर चन्दन ले खासा सो गुण हम ध्यावै। जै फै ले सर्व सुगंध सुवासा सो गुण हम ध्यावै॥ जै जम्बू.॥३॥ ॐ ह्रीं॥ चंदनं //