________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [73 ==================== जै फूल मनोहर लेकर सो गुण हम ध्यावै / ले ले जिनमंदिर पूजन जाहि, सो गुण हम ध्यावै॥ जै विजय.॥५॥ ॐ ह्रीं.॥ पुष्पं // जै फेनी घेबर मोदक खाजे सो गुण हम ध्यावै। जै पुजत जिनवर लेकर ताजे, सो गुण हम ध्यावै॥ जै विजय.॥६॥ ॐ ह्रीं. // नैवेद्यं॥ जै मणिमई दीपक लेकर घालो, सो गुण हम ध्यावै। जै जगमग जगमग होत दिवाली, सो गुण हम ध्यावै॥ जै विजय.॥७॥ ॐ ह्रीं.॥ दीपं॥ जै अगर कपूर सुगन्ध मिलाके सो गुण हम ध्यावै। जै श्री जिन सन्मुख खेवत जाके, सो गुण हम ध्यावै॥ जै विजय.॥८॥ ॐ ह्रीं.॥ धूपं॥ जै श्री फल दाख बदाम सुपारी, सो गुण हम ध्यावै। जै जिन पद पूज वरो शिवनारी, सो गुण हम ध्यावै॥ जै विजय.॥९॥ ॐ ह्रीं. // फलं॥ जै जल फल अर्घ बनाय सु लावो, सो गुण हम ध्यावै। जै लाल जिनेश्वर चरण चढावो सो गुण हम ध्यावै॥ जै विजय.॥१०॥ ॐ ह्रीं // अर्घ॥ अथ प्रत्येकार्घ दोहा-विजय मेरुकी पूर्व दिश, भद्रशाल वन जान। तहां जिनभवन सुहावनो, पूजै सुरगन आन॥११॥ ॐ ह्रीं विजय मेरुके भद्रशाल वन सम्बन्धी पूर्वदिश सिद्धकूट जिनमंदिरेभ्यो॥१॥ अर्घ //