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स्मरण कला है १९ उत्तर-हम बहुत बातों को भूल जाते हैं। उसका प्रथम कारण तो यह है कि हमें अपनी स्मरण-शंक्ति में जितनी श्रद्धा होनी चाहिये, नही है । दूसरा कारण यह है कि अपने बहुत सी बातों को याद रखने की इच्छा ही नहीं रखते। तीसरा कारण हैं कि अपने उसमे पूरा रस नही लेते । चौथा कारण है कि जिस वस्तु को हमने देखा उसको. उतना समझा नही । अथवा समझा-तो, मन की चौखट मे उसे बराबर बिठायाँ नही । पचम कारण है कि उसको जितता देखा उतना गहराई से उस पर ध्यान नही दिया। छठा कारण यह है कि हमने उसे साहचर्य के गाढ़ बन्धन मे जकड़ा नही और सप्तम कारण यह है कि उस पर समय-समय पर चिन्तन नहीं किया-पुनरावर्तन नही किया ।
' इस सकलं कथन का फलितार्थ यह है कि यदि हमे कोई वस्तु संही ठीक से याद रखनी हो तो स्मृति-शक्ति मे दृढ विश्वास होना चाहिये । उसके सम्बन्ध मे खासे इच्छा जागृत होनी चाहिये । उसमे पूरा रस पैदा होना चाहिये । उस पर एकाग्रतासे ध्यान देना चाहिये । उसको गहराई से समझने का प्रयास करना चाहिये । उसको साहचर्य से समृद्ध करना चाहिये और उसका समय-समय पर योग्य, पुनरार्वतन करना चाहिए।
प्रश्न-स्मृति-भ्र श किसे कहा जाता है और उसका स्वरूप क्या है ? ..... . , उत्तर--स्मृति का लोप होना, कुछ भी याद न आना, उसको स्मृति-भ्र श कहते हैं । यह स्थिति एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। उसके मुख्य प्रकार दो हैर दो है
, .. १-उत्तर स्मृति भ्रश और २-पूर्व स्मृति भ्रश ।। जिसमें पूर्व के अनुभव याद होते है पर ताजी या वर्तमान की घटनाएँ याद नहीं रहती, उसे उत्तर-स्मृति भ्रश कहते हैं और जिसमे पूर्व का कुछ भी याद नही रहता; पर वर्तमान का कुछ-कुछ याद रहता है, वह 'पूर्व-स्मृति-भ्रश कहलाता है । जिसका चित्त सम्पूर्ण नष्ट हो जाता है । वह चाहे जितना प्रयत्न करने पर भी अपने पूर्व के अनुभवों को, सस्कारो को याद नही कर सकता, उससे वह पशु जैसा बन जाता है। - ।