Book Title: Smarankala
Author(s): Dhirajlal Tokarshi Shah, Mohanlalmuni
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 282
________________ अव्यय = नाश नही होने वाले । महादेव = सब देवो मे महान् । सकर = शान्ति, करने वाले । शिव = कल्याणकारी। महेश्वर = महान् सामर्थ्यशाली । महाव्रती = संयमियो मे महान् । महायोगी = महान् योगियो मे महान्, परिपूर्ण परमात्मा योगमय । • महात्मा = महान् आत्मा वाले, प्रात्मा की सर्वोच्चता को आगे करने वाले ।। आत्म-सर्वा गी। मृत्युजय = मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले । - मुक्ति-स्वरूप = कर्म-बन्धन से सर्वथा मुक्त अवस्था वाले । जिन - राग-द्वेष के विजेता। . जापक = राग-द्वेष पर विजय कराने वाले । तीर्ण = ससार-समुद्र को पार किये हुए । तारक = ससार-सागर से उद्धार करने वाले । वुद्ध = बोध-प्राप्त। बोधक-बोध प्राप्त कराने वाले। ... मुक्त = कर्म-बन्धन से मुक्त। मोचक = कर्म-बन्धन से मुक्त करने वाले। • त्रिकालवित् = तीनो कालो के समस्त भावो के ज्ञाता । पारगत = ससार-सागर का पार पाये हुए। तीर्थंकार = साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका रूप धर्म-तीर्थ की स्थापना करने वाले। अरिहन्त = आन्तरिक शत्रुनो के सहारक । ११२ मिले मन भीतर भगवान

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