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स्मरण कला ११४९
है। इसलिए ४८ कार्डों मे कुल १६ शब्द तैयार करके याद रखने होते है। यह कार्य मुश्किल है पर अभ्यास से सिद्ध हो जाता है। , प्रश्न-गुणाकार के गुप्त अक प्रकाशन मे क्या रहस्य है ?
उत्तर-इसमे स्मृति से गिनने की पटुता खास चाहिए । जब . वह कला प्रयुक्त की जाती है तो गणित के आधार पर ही गृप्ताक का प्रकटन किया जा सकता है।
प्रश्न-सवत्, मास, पक्ष, तिथि और वार बताने मे क्या विज्ञान है ?
उत्तर- यह स्पष्टतया गणित का ही विषय है। इसमे भागाकार करने की विशेष दक्षता चाहिए। जिस तरह गुणन कराया गया है उसका पृथक्करण करने पर उत्तर उपलब्ध हो जाता है।
प्रश्न-बोर्ड पर लिखे हुए प्रश्नो मे से धारे हुए प्रश्न का उत्तर किस विधि से जाना जाता है ?
उत्तर- यह भी गणित का प्रश्न है। उस प्रश्न के सचक पाच कार्ड दिए जाते है । उनमे से जो कार्ड प्रश्नकर्ता वापिस लौटाता है, उनकी गिनती के आधार पर ही प्रश्न का नम्बर निकाला जाता है ।
निबन्ध लेखन, सभाषण, चर्चा, कविता, पादपूर्ति इन समस्त विषयो का आधार अवधानकार की विद्वत्ता पर निर्भर है। इसलिए उसकी जिस प्रकार की तैयारी हो उस प्रकार का कार्य कर सकता है । धुरन्धर विद्वान अवधानकार जनता के मन पर इस विषय की गहरो छाप छोड सकता है।
___अवधानकार की स्मरण शक्ति की अपेक्षा ग्रहण करने की पद्धति अनोखी होती है। उसकी वजह से एक बार ग्रहण किया हुआ भी वह भूलता नही । विस्मरण की कला भी उसकी परिपूर्ण सीखी हुई होती है । उससे वह इतने समग्र विषय धारण कर सकता है । यदि एक विषय ग्रहण करने के बाद मन का ध्यान उससे हटाकर दूसरे विषय पर न ले जा सक तो विषय ग्रहण ही न हो सके । अत. वह एक बार विषय को ग्रहण करने के बाद उसे विश्वासपूर्वक छोड देता है-भूल जाता है। . अवधान प्रयोगो का रहस्य यही है कि वस्तु को ग्रहण करने की कला ठीक-ठीक सीखो।
मगलाकाक्षी
धी०