________________
पत्र पच्चीसवाँ
उपसंहार
प्रिय बन्धु,
स्मरण शक्ति के विकास के लिए जो-जो सिद्धान्त उपयोगी माने है, उनमें से बहुत सारो का सार मैंने तुम्हे बता दिया है और तुम इन सिद्धान्तो के उपयोग से जान सके हो कि तुम्हारी स्मरण शक्ति मे कितना अधिक परिष्कार हुआ है, इतना ही नही पर उसके साथ तुम्हारे मन की दूसरी शक्तियो मे भी बहुत विकास हुआ है । अतः पद्धति-पूर्वक स्मरण-शक्ति का विकास करने पर समस्त मन की अपूर्व जागृति होती है, यह निश्चित हैं । . इस समग्र विवेचन का सार यह है कि किसी भी विषय को याद रखने का आधार वह किस विधि-संग्रह किया जाता है, उसके ऊपर निर्भर है। इसके लिए आठ सिद्धान्तो को चिन्तन में रखना जरूरी है वे निम्नलिखित है१. जो विषय एकाग्रता से ग्रहण किया हुअा हो वह अच्छी तरह से
याद रहता है। २ जो रसपूर्वक गृहीत हुआ हो, वह अच्छी तरह याद रहता है । ३. जो विषय जाग्रत इन्द्रियो द्वारा ग्रहण किया हुआ होता है वह
अच्छी तरह याद रहता है। ४. जो विषय बने, उतनी अधिक इन्द्रियो द्वारा गृहीत होता है, वह - अच्छी तरह याद रहता है। ५. जो विषय समझपूर्वक ग्रहण किया जाता है, वह अच्छी तरह : याद रहता है। ६. जो विषय व्यवस्थापूर्वक ग्रहण किया जाता है, वह अच्छी तरह
याद रहता है । .