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स्मरण कला, ११७
चौथा टुकडा-२४८ रजश = राजश्री बकरे पर सवार है। पांचवा टुकडा-६३५ हगप = हींगपेटी, हीगपेटो पानी के प्रवाह में
पडी है। अन्न का ढेर - जबर,, करात-गौशाला, ग्राम की
लपटें-कोविद, बकरा-राजश्री, पानी हीगपेटी छठा " -७६२ तमर-तिपिर ग्राम का वृक्ष महरे तिमिर
में है। सातवाँ " -३५६ गफल-गाफिल यत्रों को बिखेर रहा है। आठवाँ " ~८७६ सतम-सितम, सूवे पर कोई सितम नहीं ढहाता नौवां " -००७ दधव = दूध वाला उल्लू ने दूध वाले का अप
शकुन कर दिया। दसवाँ " -५४३ पचग = पचांग-पचाग पर बैल का चित्र है।
इन चित्रों मे हरेक 'पाच चित्रो के बाद थोड़ी देर ठहर कर उन्हे व्यवस्थित करने से मत चूकना । ग्राम-तिमिर, यवों का छाबडा-गाफिल, सूपा-सितम, उल्लू-दूध वाला, नदी-पचोग। इस समय यह समग्र चित्र परिपूर्ण रूप से खडा करना चाहिये जिससे कि स्मृति परिपक्व बन सके ।
अब आगे बढो . ग्यारहवां " -२१० र न द = रा नदी नाना के घर मे रा---
लक्ष्मी को नदी बह रही है। बारहवां " - ६९७ म ह व = महावीर नारियाँ महावीर को
वन्दन करती है। तेरहवा " -१२४ क र ज = कर्जा तो पर्वत जितना हो गया है। चौदहवा " ~६८६ स स ल = सुशीला-नोजे खा रही है। पन्द्रहवा ' - १२५ न र प = नरपति राजा से नप्पू नौकर आशी
___ बर्बाद ले रहा है।
नाना-रा-नदी, नारी महावीर, पर्वत-कर्जा, नौजासुशीला, नौकर-नरपति ।।