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७२ 1 स्मरण कला
मनुष्य मे, पशु में, पक्षी में, हरेक वस्तु मे कोई न कोई विशेष लक्षण होता है, इसका उपयोग यदि साहचर्य के सिद्धान्त के साथ किया जाए तो उसका नाम ही क्या उससे सम्बद्ध अनेक वातें भी याद रह जाती हैं। जैसे कि तुम परिभ्रमण के लिए निकले हो, उस समय तुम्हे तीन व्यक्ति सामने मिले हैं । उनमें एक का नाम खुशालदास, दूसरे का नाम नारायण दास और तीसरे का नाम चुन्नीलाल है। अब तुम्हे उन तीनो मनुष्यो के नाम याद रखने है; तो क्या करोगे ? उस समय साहचर्य के सिद्धान्त को उपयोग मे लो । जैसे कि खुशालदास का मुख जरा मुस्कराता हुआ है तो
हास्य-खुशाली-खुशालदास हास्य-खुशाली-खुशालदास हास्य-खुशाली-खुशालदास
इस तरह तीन बार मन मे बोल लो, यह नाम तुम्हे जरूर याद रह जायेगा।
अब नारायण दास का नाक जरा लम्बा है, तो - सुन्दर नाक-~-गरुड-गरुडपति नारायण नारायण दास सून्दर नाक-गरुड-गरुडपति नारायण-नारायण दास सुन्दर नाक-गरुड-गरुडपति नारायण-नारायणदास ।
इस प्रकार तीन बार मन मे बोल लो और यह नाम भी तुम्हे याद रह जायेगा।
तीसरे व्यक्ति चुन्नीलाल के दांत जरा चमकते है, तोचमकता दाँत-चुन्नी-चुन्नीलाल चमकता दाँत-चुन्नी-चुन्नीलाल चमकता दाँत - चुन्नी-चुन्नीलाल .
यो तीन बार मन मे बोलने पर यह नाम भी तुम्हे अच्छी तरह याद रह जायेगा। इसके बाद जब भी उन तीनो मनुष्यो मे से कोई भी तुम्हे सामने मिलेगा तब उसे देखते ही उसके नाम से पुकार सकोगे।
अब कल्पना करो कि तुम एक मित्र से मिलने उसके घर गये हो । उसके तीन पुत्रियाँ है । सुलोचना, रश्मिका और भारती । तुम्हे उन तीनो के नाम याद रखने हैं तो तुम उनका. लाक्षणिकता जान