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स्मरण कला ८७
अब पहले इन पंक्तियों का अर्थ समझ लो। अनिल का दल अर्थात् पवन की सेना वृक्षो के कुज मे प्रविष्ट होकर वशी बजा रही है। तरुवर अर्थात् वृक्ष, उसकी वर शाखा अर्थात् सुन्दर डालियां, उनका जो नृत्य है, वह धुन मचा रहा है। विहगगण अर्थात् पक्षी समूह मधुर स्वर मे गीत गा रहा है और निर्भर अर्थात् पानी के झरने, प्रकृति के ये वाद्य (नृत्य और गीत मे) खल खल की आवाज से ताल को पूर्ति कर रहा है ।
अब ऊपर की पक्तियाँ पढते हुए नीचे के अनुसार कल्पना चित्र खडे करो, इससे वे बराबर याद रह जायेगी।
अनिल दल बजावे कुजे मां पेसी वेंसी [अनिल भाई वृक्षो के कुज मे प्रविष्ट होकर वशी बजाते हैं]
तरुवर-वर शाखा नृत्य की धून चाले [ तरूलता नाम की सुन्दर लड़की नृत्य कर रही है।
विहगगण मधुरा सूर थो गीत गाय [ विवाह का प्रसग चल रहा है उसमे गीत गा रही है ]
___ खल खल नादे निर्भ रो ताल आये (हजारीमल मृदंग बजाता हुआ ताल दे रहा है ।)
अनिल भाई की वंशी, तरूलता का नृत्य, विवाह के गीत और हजारीमल का ताल, बस यह कल्पना-चित्र भावो के द्वारा बरावर संकलित होने पर विस्मृत नही होगा । तुम इन चार पक्तियो को सरलता से बोल सकोगे।
___ यह वर्णन मानमिक क्रिया को समझने के लिए किया है, इसलिए लम्बा लगता है पर मन को एक बार अभ्यास होने पर वह क्रिया इतनी शीघ्रता से होती है कि वह सब स्वाभाविक सा बन जाता है।
कविता को याद रखने मे इस पद्धति का अनुसरण करो।
यथार्थ घटना और अड्डो को याद रखने मे भी रेखाम्रो का उपयोग सफलतापूर्वक किया जा सकता है जैसे कि - भारत मे लोहा कहाँ-कहाँ निकलता है ? तो भारत का नक्शा देख कर उसके जिस
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