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. स्मरण कला १०१
कन्धा, गला, मुख, कान, नाक, आँख, कपाल और मस्तक, इन अवयवो को याद करते समय उसकी नजर के समक्ष शरीर प्रा जाएगा और उसे देखते ही अवयवों का समस्त क्रम याद आ जाएगा। जबकि व्युत्क्रम में सीखे हुए नाम निम्नोक्त प्रकार से बोले जायेंगे
पेट, मस्तक, हाथ, कान, मुह, पग, मस्तक, गला, कन्धा ।
इस प्रकार मे आवश्यक अवयवो के छटने की और किसी वस्तु के दुहराई जाने की पूरी-पूरी संभावना रहती है । ऊपर की गिनती मे मस्तक दो बार गिना गया है, जबकि कपाल अाँख, नाक, छाती प्रादि अगो की गिनती ही नही कराई। यह सिद्धान्त सर्वत्र लागू होता है।
एक मित्र के घर में बारह मनुष्य है और उन सब के नाम याद रखने हैं तो क्या करोगे? यदि उनमे दादा हो तो पहले दादा का नाम फिर माता, पिता का नाम, फिर उसकी पत्नी का नाम, बाद में लडकों के नाम, फिर लडकियो के नाम याद रखने चाहिए उसके साथ ही यदि सगे-सम्बन्धी हो तो उनके नाम सबसे अन्त मे रखने चाहिए। इस प्रकार का क्रम बनाने से नाम बराबर याद रहेगे, पर यदि उन्हें व्युत्क्रम से याद रखोगे तो परिणाम अवयवो की गिनती के समान आयेगा ।
यदि तुम्हें इतिहास का ज्ञान व्यवस्थित करना हो, तो सर्व प्रथम बीस प्रमुख व्यक्तियो के नाम कालक्रम से याद रखने चाहिये। वह क्रम प्राचीन काल से अर्वाचीन हो, या अर्वाचीन काल से प्राचीन काल हो । अपने यहाँ प्राचीन काल से अर्वाचीन की तरफ श्राना विशेष पसन्द किया जाना है क्योकि यही हमारी उत्क्रान्ति का मार्ग है, यही बताया जा रहा है
प्राचीन काल से अर्वाचीन (१) राम
(प्राचीन) (२) कृष्ण
(प्राचीन) (३) महावीर और बौद्ध
(ईस्वी सन् पूर्व ५६६) (४) चन्द्रगुप्त
(ईस्वी सन् पूर्व ३०० वर्ष के प्रास पास) (५) अशोक
(ई. से. पूर्व २५० के पास पास)