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११४ स्मरण कला
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र, ट, ठ, ड, ढ, ग, द्य च, छ, ज, झ, प, फ, व, भ, म व, त, थ श, ष, स ह, ल
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ढ, ध
कुछ-'अ' आदि स्वर तथा य को छोडकर अको के इतने प्रतिनिधि लेने का कारण यह है कि शब्द बनाने मे सरलता रहती है। इसमे समस्त व्यजन बांट लिए गए है, सिवाय ङ और ञ के । ये व्यजन बहुत उपयोग मे नही आते है,इसलिए इन्हे नहीं लिया गया।
अब जो सख्या याद रखनी हो, उसके तीन तीन के खण्ड (टुकडे) बना कर उनकी शब्द रचना करो और उन्हे प्रत्येक क्रमाक चित्र के साथ जोडो, जिससे कि वे बराबर याद रह सके ।
उदाहरण के तौर पर निम्न सख्या धारण करनी है। १२०३६०५९२७४१६५२१२८४२६३९१२५२१०८ (३० अंक)
तो पहले इस सख्या के तीन तीन के टुकडे करो । दस टुकड़े होगे जैसे कि
१२० ३६० ४९२ ७४१ ६५२ १२८ ४२६ ३९१ २४२ १०८
इने दस टुकडो के शब्द वनाते जाओ और उनका सबन्ध क्रमांक वाले खाने के साथ जोड़ते जागो जैसे कि
१२० = न र द = नारद नारद तो कुतुहल प्रिय होने से धान्य के ढेर पर नाच रहे है, ऐसा चित्र खडा करो।
३६० = ग म ध = गोमेध कोई करोत से गाय का मेष (हत्या) कर रहा है और दयालु लोक उसका विरोध कर रहे है, ऐसा चित्र मन मे खड़ा करो।